Hindi Divine Murli

30-04-2011
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - पावन बनो तो रूहानी सेवा के लायक बनेंगे, देही-अभिमानी बच्चे रूहानी यात्रा पर रहेंगे और दूसरों को भी यही यात्रा करायेंगे''
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प्रश्न: संगम पर तुम बच्चे जो कमाई करते हो, यही सच्ची कमाई है - कैसे?


उत्तर: अभी की जो कमाई है वह 21 जन्म तक चलती है, इसका कभी भी देवाला नहीं निकलता। ज्ञान सुनना और सुनाना, याद करना और कराना - यही है सच्ची-सच्ची कमाई, जो सच्चा-सच्चा बाप ही तुम्हें सिखलाता है। ऐसी कमाई सारे कल्प में कोई भी कर न सके। दूसरी कोई भी कमाई साथ नहीं चलती।


गीत:-
हमें उन राहों पर चलना है....


धारणा के लिए मुख्य सार:


1) यह ईश्वरीय जीवन बहुत-बहुत अमूल्य है, इस जीवन में आत्मा और शरीर दोनों को पावन बनाना है। रूहानी यात्रा में रहकर दूसरों को यही यात्रा सिखानी है।


2) जितना हो सके - सच की कमाई में लग जाना है। निरोगी बनने के लिए याद में मजबूत होना है।


वरदान: याद के आधार द्वारा माया की कीचड़ से परे रहने वाले सदा चियरफुल भव


कोई कैसी भी बात सामने आये सिर्फ बाप के ऊपर छोड़ दो। जिगर से कहो- 'बाबा'। तो बात खत्म हो जायेगी। यह बाबा शब्द दिल से कहना ही जादू है। माया पहले-पहले बाप को ही भुलाती है इसलिए सिर्फ इस बात पर अटेन्शन दो तो कमल पुष्प के समान अपने को अनुभव करेंगे। याद के आधार पर माया के समस्याओं की कीचड़ से सदा परे रहेंगे। कभी किसी भी बात में हलचल में नहीं आयेंगे, सदा एक ही मूड होगी चियरफुल।


स्लोगन: पवित्रता की धारणा वा धर्म को जीवन में लाने वाले ही महान आत्मा हैं।